CharuDhingra
4 min readAug 12, 2020

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जानिए जन्माष्टमी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

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Happy Janmastami

आज जन्माष्टमी का पावन अवसर है। श्रीकृष्ण के बाल गोपाल रूप को पूरी दुनिया जन्माष्टमी के तौर पर मनाती है। कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण जो की विष्णु के आठवेंतार थे उनका जनमोत्सव है। यह हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा से सम्बंधित है। कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया अन्द और श्री कृष्ण जयंती प्रमुख नामों से भी जाना जाता है।

पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। किंतु इस वर्ष 2020 में देशभर जन्माष्टमी 11 और 12 दो दिन मनाई जा रही है। इस बार अष्टमी तिथि 11 अगस्त यानी आज से आरंभ हो चुकी है और यह अष्टमी तिथि 12 अगस्त को सुबह 11 बजे के आसपास समाप्त हो रही है और 11 अगस्त को भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त को कृतिका नक्षत्र लग रहे है, इन्हीं दोनों नक्षत्रों (भरणी तथा कृतिका) के बाद रोहिणी नक्षत्र आता है जो 13 अगस्त को लगेगा, इसीलिए इस बार दो दिनों तक जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। यानी अष्टमी की रात्रि 11–12 अगस्त की मध्य रात्रि को होने के कारण जन्माष्टमी 11 अगस्त को भी मनाई जा रही है और सूरजमुखी अष्टमी तिथि 12 अगस्त को होने के कारण जन्माष्टमी 12 अगस्त को भी मनाई जा रही है।

कहा जा रहा है कि इस बार भगवान शंकर के भक्त यानी बनारस और उसके आस-पास के लोग 11 अगस्त 2020 के दिन जन्माष्टमी मना रहे हैं जबकि श्री विष्णु भक्त, वृंदावन, मथुरा, द्वारका और इस्कान के अनुयायी 12 अगस्त 2020 को जन्माष्टमी माना जा रहे हैं।

जन्माष्टमी के त्यौहार को भारत में हीं नहीं बल्कि विश्व के हर हिस्से में रहने वाले भारतीय भी पूरी आस्था से मनाते हैं। इस त्यौहार पर भगवान श्री कृष्ण के जीवन के दृश्यों को नाटक, उपवास, भागवत कथा और कृष्ण लीला जैसे माध्यमों से मध्यरात्रि तक आयोजित किया जाता है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का अवतरण समय मध्यरात्रि को माना जाता है। इस दिन मंदिरों में झांकियाँ निकाली जाती हैं। लोग मंदिरों में और अपने घरों में लड्डू गोपाल को झूला जन्मोत्सव के समय झुलाते हैं। साथ ही इस दिन उपवास भी किया जाता है। इस त्यौहार को पूरे देश में ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है लेकिन मथुरा-वृन्दावन और द्वारिका में इस त्यौहार की अलग ही चहलपहल होती है। बाल गोपाल की सेवा बिल्कुल एक छोटे बच्चे की तरह की जाती है। जैसे माता-पिता अपने बच्चों का पालन करते हैं ठीक उसी तरह बालरूपी कृष्ण की भी सेवा कि जाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कान्हा कि मोहक छवि देखने के लिए लोग मंदिरों में प्रवेश करते हैं। भारत के कुछ स्थानों पर मुख्य महाराष्ट्र और गुजरात में इस दिन दही हांड़ी उत्सव भी मनाया जाता है।

तो आईये जानते हैं क्या करें जन्माष्टमी के दिन खास, जिसे करने से कृष्णा आएं आपके द्वार।

  • सकारात्मक भाव के साथ उपवास करें और सुबह से ही पूजा अर्चना करें
  • संध्याकाल में पूजा के स्थान को लाल रंग के वस्त्र से सजाएं और भगवान कृष्ण की प्रतिमा को पात्र में रखें।
  • फिर बालरूपी भगवन कृष्ण को दही, शहद एवं गंगाजल से स्नान कराएं।
  • लड्डू गोपाल को पीले वस्त्र पहनाएं और मोर पंख से श्रृंगार करें।
  • अब भगवान का अक्षत तथा रोली से तिलक करें।
  • अब लड्डू गोपाल को उनके पसंदीदा माखन मिश्री का भोग लगाएं।
  • श्रीकृष्ण को तुलसी का पत्ता भी जरूर अर्पित करें।
  • भोग के बाद श्रीकृष्ण को गंगाजल अर्पित करें।
  • हाथ जोड़कर उनका समरण करें तथा अपने आराध्य देव का भी ध्यान लगाएं।

भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव हर साल बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते लोगों से अनुरोध है कि घर में रहकर ही कान्हा का जन्मोत्सव मनाएं। इस साल देशभऱ में दही हांडी के कार्यक्रम भी आयोजित नहीं किए जाएंगे। सामाजिक दूरी का पालन करें और बाहर निकले तो मास्क पहनना ना भूलें और इस पावन मौके पर सभी दोस्तों, रिश्तेदारों और अपनों से मिलने की जगह ऑनलाइन यानी इंटरनेट के माध्यम से ही दें इस पावन अवसर की बधाई दें।

आप सभी को जन्माष्टमी की ढेर साड़ी शुभकामनायें।

श्लोक -

मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं जनस्य चित्तं सततं हरन्तम् ।

वेणुं नितान्तं मधु वादयन्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥

अर्थ -

मृदु हास्य करनेवाले; तेज से चमकने वाले, हमेशा लोगों का चित्त आकर्षित करने वाले;

अत्यंत मधुर बासुरी बजाने वाले बालकृष्ण का मै मन से स्मरण करता हुँ।

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